उस समय मैं कक्षा नौवीं की छात्रा थी । सात सहेलियों की पक्की टोली थी।जिसमें कुछ बहुत चुलबुली ,कुछ शरारती थी ।उसमें मैं काफी शांत अपनी दुनिया में खुश रहने वाली थी ।उसी समय कक्षा में एक नई छात्रा का प्रवेश हुआ ,नाम था शालिनी ।स्कूल यूनिफार्म की नीली कुर्ती ,सफेद चुन्नी और काले बालों की दो छोटी चोटियाँ उसके चेहरे के रंग से भी मिलती थी ।यही मेरी पूरी टोली की परेशानी का कारण बन गया ।सोहिनी ने रुबीना के कानों में कुछ फुसफुसकर कहा ,"इसका चेहरा कहां समाप्त हो रहा है और चोटी कहां से शुरू हो रही है, कुछ पता चल रहा है ?"यह वाक्य इतनी तेजी से कहा गया था कि पूरी टोली को सुनाई दे ।सभी अचानक से खिलखिला कर हंस दी। शालिनी ने सभी को हंसते देखकर पीछे मुड़कर देखा ।और खुद भी हँस दी बेचारी को यह पता ही नहीं था ,यह हंसी उसी के लिए रची गई थी। उसे मुस्कुराता देख कर पूरी टोली तो दाएँ-बाएँ देखने लगी पर उससे नजर मिलने पर मैंने मुस्कुरा कर थोड़ा सा हाथ उठाया ।तभी अध्यापिका ने डस्टर बजाकर सब को शांत होने का ऐलान कर दिया ।
चित्र गूगल से साभार
पल्लवी गोयल