बाँके मुंबई के धारावी इलाके में रहने वाला केवल तेरह साल का बालक था । जब से उसने आँखें खोली माँ को सिग्नल पर उसे गोदी में बैठाए अक्सर भीख माँगते और कभी कुछ बेच कर पैसा कमाते देखा । बाप हर रोज सिनेमा हाल के बाहर टिकट ब्लैक में बेचता था । दोनों रोज कुआँ खोदते तब तीनों पेटों का कुआँ भरता। जब भी बाप को पुलिस पकड़कर ले जाती ,माँ पुलिस और पति दोनों को जी भरकर गालियाँ देती और रोती भी। अपनी कमाई पुलिस को भेंट चढ़ाती और पूरा परिवार दो - तीन दिन फ़ाका करने को मज़बूर हो जाता ।
दुनिया की ऊँच -नीच ने बाँके को तेरह में ही तीस का बना दिया था। उसे यह कड़वा सच पता था कि जहाँ से भी पैसा मिले बस उसे कमाना है ।सही और गलत की परिभाषा ही उसके लिए जेब में पैसा होना था। यदि पैसा नहीं है तो खाना भी नहीं मिलेगा। चोरी, पाकेटमारी, जैसी कला उसके बाप ने उसे गुरु बनकर सिखाई थी और दक्षिणा में उसकी सारी कमाई रख लेता। वह जिस दिन उस कला का प्रयोग न करता उस दिन खुन्नस में उसका बाप उसके पुर्जे पुर्जे ढीले कर देता।
जब से वानखेड़े स्टेडियम में क्रिकेट टेस्ट सीरीज का आयोजन हुआ था ।तब से उसके वारे न्यारे हो गए थे। न खेल देखने वालों की कमी थी और न ही उसके लिए ग्राहकों की। जितनी बेसब्री से दर्शक चौके छक्के का इंतजार करते उतनी ही बेसब्री से वह भी करता था उसी समय वह कलाकार अपनी कला से अपनी जेब गर्म करता था।
दर्शक दीर्घा में बैठा एक साठ वर्षीय वृद्ध सूट- बूट में आकर्षक लग रहा था कुछ देर पहले जब उसने अपना पर्स निकाला था ।उसमें अपनी कमाई देख चुका था ।वह उसे दर्शक दीर्घा से बाहर आते हुए देख रहा था ।उससे धीरे से टकराया और उसका काम हो गया था। काम करने के बाद में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखता था। तभी कराहती आवाज ने उसके कदमों को धीमा किया ।न चाहते हुए भी एक बार पीछे मुड़कर देखा ।वृद्ध नीचे जमीन पर गिरा हुआ था और कराह रहा था ।उसका एक हाथ सहायता के लिए आगे बढ़ा। दो-चार लोग उसकी तरफ सहायता के लिए बढ़े ।एक व्यक्ति ने कहा इनका फोन या पर्स निकाल कर चेक करो ,अवश्य कुछ पता चलेगा ।बाँके खतरे की सीमा से आगे बढ़ गया था ।पर्स और मोबाइल की बात सुनकर कुछ ठहरा ,दोनों ही उसके पास थे ।साथ ही उस आदमी का जीवन भी उसके ही हाथ था। वह पीछे मुड़कर भीड़ में शामिल हो गया ।पर्स और मोबाइल दोनों वहीं छोड़कर आगे बढ़ गया । रास्ते में चलते हुए उसकी आंखों के सामने उसके बाप के दोनों हाथ लहराने लगे ।उसने सर झटका और सीटी बजाते हुए घर की ओर बढ़ चला।
पल्लवी गोयल
चित्र गूगल से साभार
वाह वाह वाह. जवाब नहीं. बेहद सुंदर गठित कहानी
जवाब देंहटाएंकहानी पसंद करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद सुधा मैम ।
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