सुल्लो आज भी मन मसोसकर ही रह गई पिछले कई दिनों से मां से मिलने जाना चाहती थी अभी दो दिन पहले जब राजू चाचा आए थे मिलते हुए बताते गए थे कि मां की तबीयत बहुत खराब है ।आज किसी भी काम में उसका दिल नहीं लग रहा था। इस पानी की किल्लत ने जीना हराम कर रखा था। घर से पाँच किलोमीटर दूर एक सरकारी नल था जिसमें पतली धार से पाँच घंटे पानी आता था गांव की औरतों का सबसे पहला काम था अंधेरे में उठते ही पानी की लाइन में लग जाना ।जो उठा-पटक होती थी घर आते आते ही नौ बज जाते थे घर आते ही घर गृहस्थी में तीन कब बज जाते उसे पता ही न लगता आज माँ के यहां जाने का निश्चय करके उसने सवेरे साढ़े तीन बजे ही पानी की लाइन में लगने का निश्चय किया ।जब वह घर छोड़कर निकली तो चाॅद चमक रहा था ।रह-रहकर कुत्तों के भौंकने की आवाज आ रही थी। आंचल समेटते ,पैर दबाते हुए वह नल तक पहुंच ही गई ।कुछ ही दूर देशी शराब खाना था जहां दो चार शराबी लुढ़के पड़े थे ।उनके खर्राटों की आवाज के साथ जब भी तेज बड़बड़ाने की आवाज आती वह सहमकर सिहर उठती ।साढ़े चार बजा था और गाँव की कोई भी औरत वहां नहीं आई आई थी। वह नल के सामने पहले स्थान पर खड़ी हो गई ।अभी छःबजे पानी आ जाएगा और सात बजे तक घर का सारा काम निपटा कर दस बजे मां के गाँव के लिए निकल जाएगी। अपनी सोच में वह इतना डूब गई थी उसे नज़र ही नहीं आया कि कोई उसके नजदीक आकर अपनी लाल -लाल आंखों से उसे घूर रहा है। यह गाँव का आवारा और शराबी राजा था। बहुत बदनाम था। वह उसके पास आकर हँसा और बोला "का भउजी आज पहलहिन लाइन में लग गइलू ..पहिलका नंबर ...हाँ...." यह कहकर हँसते हुए उसने सुल्लो की तरफ हाथ बढ़ाया ।उसका हाथ के रूप में बढ़ते केेेंचुुए को देखकर घृणा का ज्वार सा उठा वह उसे छू पाता उससे पहले ही उसने उसे ज़ोर से धक्का दिया और उसके चंगुल से भाग निकली ।पीछे मुड़कर भी नहीं देखा ।घर आई तो सास बिस्तर से आवाज़ लगा रही थी " ऐ सुल्लो! पानी ले अइलू का " सुल्लो मुंह से बोल नहीं फूटे वह बिस्तर की चादर में मुँह डाले सुबकती रही ।
चित्र साभार गूगल @पल्लवी गोयल
चित्र साभार गूगल @पल्लवी गोयल
बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय लोकेश जी।
जवाब देंहटाएंसादर ।